शिष्टाचारका हमारे जीवन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है. कहने को तो शिष्टाचार की बातें छोटी-छोटी होती हैं,लेकिन बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं. व्यक्ति अपने शिष्टआचरण से सबका स्नेह और आदर पाता है. मानव होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति को शिष्टाचार का आभूषण अवश्य धारण करना चाहिए. शिष्टाचार से ही मनुष्य के जीवन में प्रतिष्ठा एवं पहचान मिलती है और वह भीड़ में भी अलग नजर आता है.जब कोई मनुष्य शिष्टाचार रूपी आभूषण को धारण करता है तब वह एक महान व्यक्ति के रूप में सबके लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है. ये छोटी-छोटी बातें जीवन भर साथ देती हैं. मनुष्य का शिष्टाचार ही उसके बाद लोगों को याद रहता है और अमर बनाता है.
शिष्टाचार का अर्थ है शिष्ट व्यवहार। आइए देखें इन्हें अपने जीवन में कैसे उतारें और शिष्ट कहलाएं:
समाज में कहाँ, कब, कैसा शिष्टाचार किया जाना चाहिए, आइए इसपर एक दृष्टि डालें-
1.विद्यार्थी का शिक्षकों और गुरुजनों के प्रति शिष्टाचार,
2.घर में शिष्टाचार,
3.मित्रों से शिष्टाचार ,
4.आस-पड़ोस संबंधी शिष्टाचार ,
5.उत्सव सम्बन्धी शिष्टाचार,
6 समारोह संबंधी शिष्टाचार,
7 भोज इत्यादि संबंधी शिष्टाचार,
8.खान-पान संबंधी शिष्टाचार,
9.मेजबान एवं मेहमान संबंधी शिष्टाचार,
10.परिचय संबंधी शिष्टाचार,
11.बातचीत संबंधी शिष्टाचार,
12.लेखन आदि संबंधी शिष्टाचार,
13.अभिवादन संबंधी शिष्टाचार,
2.घर में शिष्टाचार,
3.मित्रों से शिष्टाचार ,
4.आस-पड़ोस संबंधी शिष्टाचार ,
5.उत्सव सम्बन्धी शिष्टाचार,
6 समारोह संबंधी शिष्टाचार,
7 भोज इत्यादि संबंधी शिष्टाचार,
8.खान-पान संबंधी शिष्टाचार,
9.मेजबान एवं मेहमान संबंधी शिष्टाचार,
10.परिचय संबंधी शिष्टाचार,
11.बातचीत संबंधी शिष्टाचार,
12.लेखन आदि संबंधी शिष्टाचार,
13.अभिवादन संबंधी शिष्टाचार,
-घर पर आए अतिथि का खुशी से स्वागत करें।
-घर के सामान को यथास्थान रखें। घर में गंदगी को गली की गंदगी न बनाएं।
-किसी से मिलते समय ‘आदाब - सलाम’ और विदा लेते समय ‘फिर मिलेंगे’ अवश्य कहें।
-किसी की मदद से कोई काम पूरा हुआ हो तो कार्य समाप्ति पर ‘धन्यवाद’ करना न भूलें।
-किसी से कुछ मदद मांगनी हो तो ‘कृपया’ शब्द का प्रयोग करें।
-कोई अन्य अखबार या पत्रिका पढ़ रहा हो तो ताक-झांक न करें। न ही झांक-झांक कर पढ़ें।
-खाने-पीने का सामान इधर-उधर न फैंके। न ही भोजन बिना ढंके रखें।
-यात्रा के दौरान जोर-जोर से न बोलें, न खिलखिलाएं, न ताली बजाकर या हाथ मारकर बात करें।
-यात्रा करते समय अपंग, वृद्धजन और असहाय व्यक्ति को प्राथमिकता दें।
-शोक के अवसर पर चटकीले कपड़े न पहनें, न ही अधिक आभूषण पहनें, न ही कपड़ों पर परफ्यूम आदि लगाकर जाएं। ऐसे स्थान पर शांत रहना ही शोभनीय लगता है।
-आप दूसरों की जितनी मदद आसानी से कर सकें, नि:संकोच करें।
-अपने आप को दूसरों पर जबरदस्ती न थोपें, न ही बिना मांगें सलाह दें।
-सबके साथ मृदुभाषी रहें। कड़वाहट जीवन में जहर का काम करती है।
-निंदा स्तुति से बच कर रहें।
शिष्टाचार मनुष्य के व्यक्तित्व का दर्पण होता है. शिष्टाचार ही मनुष्य की एक अलग पहचान करवाता है .शिष्टाचारी मनुष्य समाज में हर जगह सम्मान पाता है
No comments:
Post a Comment